JAI HIND
पिछले जन्म में क्या थे अगले जन्म में क्या होंगे इस बात को जानने की उत्सुकता सभी के मन में रहती है कि वह पिछले जन्म में क्या थे और अगले जन्म में क्या होंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुण्डली से व्यक्ति के वर्तमान ही नहीं अगले और पिछले जन्म के विषय में भी जानकारी मिल सकती है। इसलिए कोई व्यक्ति यह जानना चाहता है कि वह क्या था और क्या होगा तो उसे अपनी कुण्डली देखनी चाहिए।
पूर्वजन्म में क्या थे
अपने पूर्वजन्म के विषय में जानने के लिए लग्न और लग्नेश की स्थिति को देखना चाहिए। लग्न भाव में गुरू स्वराशि या उच्च राशि में बैठा है तो आप पूर्वजन्म में ब्राह्मण थे। धर्म-कर्म एवं ईश्वर के प्रति आपकी गहरी निष्ठा थी। लग्नेश मंगल अथवा सूर्य लग्न भाव में बैठा है या अपनी उच्च राशि में है तो आप पूर्व जन्म में क्षत्रिय रहे होंगे अथवा क्षत्रिय समान आपके कर्म रहे होंगे। बुध लग्नेश है और लग्न भाव में बैठा है अथवा अपनी उच्च राशि में स्थित है तो पूर्व जन्म में आप वैश्य रहे होंगे। शनि और राहु को शुद्र माना जाता है। लग्न स्थान में मकर या कुम्भ राशि हो और शनि या राहु लग्न में बैठा हो अथवा शनि अपनी उच्च राशि में बैठा हो तो पूर्व जन्म में आप शुद्र रहे होंगे।
क्या होंगे अगले जन्म में
कुण्डली में बारहवें भाव में गुरू अथवा के केतु शुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करता है। मृत्यु के बाद के विषय में महर्षि पराशर ने और भी कई बातें विस्तार से बताई है। उनके अनुसार लग्न से छठे, सातवें अथवा आठवें भाव में गुरू होने पर व्यक्ति देवलोक में स्थान प्राप्त करता है। इन भावों में अगर चन्द्रमा या शुक्र हो तो मृत्यु के बाद व्यक्ति पितृलोक में जाता है। सूर्य या मंगल छठे, सातवें अथवा आठवें भाव में होने पर व्यक्ति मरने के बाद पुनः मृत्युलोक में जन्म लेता है। बुध अथवा शनि के होने पर नर्क का भोग मिलता है।
पूर्वजन्म में क्या थे
अपने पूर्वजन्म के विषय में जानने के लिए लग्न और लग्नेश की स्थिति को देखना चाहिए। लग्न भाव में गुरू स्वराशि या उच्च राशि में बैठा है तो आप पूर्वजन्म में ब्राह्मण थे। धर्म-कर्म एवं ईश्वर के प्रति आपकी गहरी निष्ठा थी। लग्नेश मंगल अथवा सूर्य लग्न भाव में बैठा है या अपनी उच्च राशि में है तो आप पूर्व जन्म में क्षत्रिय रहे होंगे अथवा क्षत्रिय समान आपके कर्म रहे होंगे। बुध लग्नेश है और लग्न भाव में बैठा है अथवा अपनी उच्च राशि में स्थित है तो पूर्व जन्म में आप वैश्य रहे होंगे। शनि और राहु को शुद्र माना जाता है। लग्न स्थान में मकर या कुम्भ राशि हो और शनि या राहु लग्न में बैठा हो अथवा शनि अपनी उच्च राशि में बैठा हो तो पूर्व जन्म में आप शुद्र रहे होंगे।
क्या होंगे अगले जन्म में
कुण्डली में बारहवें भाव में गुरू अथवा के केतु शुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करता है। मृत्यु के बाद के विषय में महर्षि पराशर ने और भी कई बातें विस्तार से बताई है। उनके अनुसार लग्न से छठे, सातवें अथवा आठवें भाव में गुरू होने पर व्यक्ति देवलोक में स्थान प्राप्त करता है। इन भावों में अगर चन्द्रमा या शुक्र हो तो मृत्यु के बाद व्यक्ति पितृलोक में जाता है। सूर्य या मंगल छठे, सातवें अथवा आठवें भाव में होने पर व्यक्ति मरने के बाद पुनः मृत्युलोक में जन्म लेता है। बुध अथवा शनि के होने पर नर्क का भोग मिलता है।
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