Monday 19 September 2011

महंगाई से आम आदमी का निकला दिवाला

JAI HIND
महंगाई की मार से आम आदमी का दिवाला निकल चुका है। एक ओर खाने-पीने के चीजों के दाम सातवें आसमान पर हैं वहीं बैंकों का कर्ज एक साल में लगभग चार फीसदी महंगा हो चुका है। इस संकट से आम आदमी के साथ-साथ बैंक भी कुछ कम चिंतित नहीं हैं। कई बैंकों ने यह चिंता जताई है कि ऊंची ब्याज दर अब उनके व्यवसाय को कम कर सकती है।

बजट को दुरुस्त करना चाहते है बैंक
दरअसल अब तक ब्याज दर बढ़ने से बैंकों का व्यवसाय भी बढ़ता था। मगर भविष्य में ब्याज दर बढ़ने से ग्राहकों की संख्या में कमी आ सकती है। इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक टी. एम. भसीन के मुताबिक महंगाई की वजह से ज्यादातर लोग बैंकों से कर्ज लेने के बजाए दूसरे विकल्पों को तलाश रहे हैं। यही वजह है कि कर्ज लेने वाले ग्राहकों की संख्या पिछले साल के परिप्रेक्ष्य में कम हुई है। बतौर भसीन ज्यादातर ग्राहक कर्ज लेने के पहले अपने बजट को दुरुस्त करना चाहते हैं। लेकिन महंगाई उनके बजट को ठीक करने के बजाए और बिगाड़ रही है। उनका कहना है कि रेपो दर बढ़ने से कर्ज महंगा करना बैंकों की मजबूरी हो गई है लेकिन यह भी चिंता है कि भविष्य में ग्राहकों की संख्या पर इसका क्या असर होगा।

नकदी प्रबंधन में आ सकती है दिक्कत
उधर, पंजाब नेशनल बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी भी कहते हैं कि इससे बैंकों के व्यवसाय पर भी असर पड़ सकता है। ग्राहक कर्ज लेने तो आएंगे लेकिन इनकी संख्या पहले की तुलना में कम होने की आशंका है। मालूम हो कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र समेत कुछ बैंकों ने अक्तूबर से कर्ज महंगा करने की घोषणा की है लेकिन डिपॉजिट दरों में बदलाव की योजना नहीं है। जिससे बैंकों के लिए नकदी प्रबंधन में दिक्कत आ सकती है।

अमर उजाला ब्यूरो

No comments:

Post a Comment